Thursday 21 February 2013

मकोय (रसभरी)




मकोय (रसभरी)
- आजकल मकोय के फलों का मौसम चल रहा है।मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं ।ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी।इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं ।
- मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है।
- शहद मकोय के गुणों को सुरक्षित रख कर दोषों को दूर करता है।
- यह वात , पित्त और कफ नाशक होता है।
- यह सूजन और दर्द को दूर करता है।
- शुगर की बीमारी हो या फिर कमजोरी हो तो मकोय के सूखे बीजों का पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए . इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .
- बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।
- लीवर ठीक नहीं है , पेट खराब है , आँतों में infection है , spleen बढ़ी हुई है या फिर पेट में पानी भर गया है ; सभी का इलाज है मकोय की सब्जी . रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।
- पीलिया होने पर इसके पत्तों का रस 2-4 चम्मच पानी मिलाकर ले लें ।
- अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।
- त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ भी इसके नित्य प्रयोग से ठीक होती हैं ।
- यह सर्दी -खांसी , श्वास के रोग , हिचकी आदि को ठीक करता है।

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