Saturday 29 December 2012

खांसी ओर कफ विकार

१. यदि सूखी खांसी हो ओर कफ ना निकलता हो तो, सुबह ही सुबह ताज़े एक अमरुद को तोड़ कर , चाक़ू कि सहायता के बिना चबा चबा कर खाने से खांसी २-३ दिन में ही दम तोड़ देती है |

२. अमरुद का भमक यन्त्र द्वारा अर्क निकालकर उसमे शहद मिलाकर पीने से भी सूखी खांसी में लाभ होता है |

३. यदि बलगम खूब पड़ता हो ओर खांसी अधिक हो , दस्त साफ़ ना हो ओर हल्का बुखार भी हो तो अच्छे ताज़े मीठे अमरूदों को अपनी इच्छा अनुसार खाएं |

४. यदि जुकाम कि साधारण खांसी हो तो अधपके अमरुद को आग में भूनकर उसमे नमक लगा कर खाने से लाभ होता है |


_________________________भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है

Friday 23 November 2012

हथेली के दर्शन शुभ:


हथेली के दर्शन शुभ:



प्रातः उठते ही हमारी आँखें उनींदी होती हैं। ऐसे में यदि दूर की वस्तु या रोशनी हमारी दृष्टि पर पड़ेगी तो आँखों पर कुप्रभाव पड़ेगा। शास्त्रों में प्रातःकाल जागते ही सबसे पहले दोनों हथेलियों के दर्शन का विधान बताया गया है। प्रातः दिखने वाली आकृति का दिन में प्रभाव अवश्य होता है।
दिन के क्रियाकलापों पर जीवन के चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, कर्म और मोक्ष) का घनिष्ठ संबंध है। इनकी सहज 
और सुगम प्राप्ति के लिए हाथों की हथेली का दर्शन करके यह मंत्र पढ़ना चाहिए-
कराग्रे वसति लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनम्‌‌ (कहीं-कहीं “गोविन्दः के स्थान पर “ब्रह्मां” का प्रयोग किया जाता है।)
भावार्थ : हथेलियों के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी, मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान गोविन्द (ब्रह्मा) का निवास है। मैं अपनी हथेलियों में इनका दर्शन करता हूँ।
यह क्रिया करते समय हमें यही ध्यान में रखना चाहिए कि हाथों के अग्रभाग में देवी लक्ष्मी का वास है। मध्य अर्थात हथेली में सरस्वती देवी का निवास है।
हथेली और कलाई के हिस्से (मूल भाग) में ब्रह्माजी या गोविन्द का निवास है। इनके दर्शन कर दिन का आरंभ करना चाहिए। इससे उसके कार्य में उत्तम फलों की प्राप्ति सुनिश्चित है। वेद व्यास ने करोपलब्धि को परम लाभप्रद माना है। कर तल में हम देव दर्शन करें, ताकि हमारी वृत्तियाँ भगवान के चिंतन की ओर प्रवृत्त हों।
इससे शुद्ध, सात्विक कार्य करने की प्रेरणा मिलती है, साथ ही पराश्रित न रहकर विचारपूर्वक अपने परिश्रम से जीविका कमाने की भावना पैदा होती है। यह मंत्र उच्चारित कर हथेलियों को परस्पर घर्षण करके उन्हें अपने चेहरे पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से दिन शुभ व्यतीत होता है। साथ ही बल व तेज की भी प्राप्ति होती है।

Monday 5 November 2012

लौंग:


लौंग:

लौंग भले ही छोटी है, मगर उसके प्रभाव बड़े गुणकारी हैं। साथ ही लौंग का तेल भी काफी लाभकारी होता है।लौंग को वैसे तो मसाले के रूप में सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है। लेकिन किचन में उपस्थित इस मसाले के अमूल्य औषधीय गुणों के बारे में कम ही लोग जानते हैं। आज हम बताने जा रहे हैं लौंग के कुछ ऐसे ही औषधीय प्रयोगों के बारे में.....
लौंग में क
ार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे त
त्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।

- खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है।

-15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है। 

- लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है।

- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है।

- सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।

- गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।

- लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है।

- एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा। 

- लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है।

संक्रमण::
एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में भी काफी उपयोगी होता है। इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर भी किया जाता है लेकिन संवेदनशाल त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए।

तनाव::
अपने विशिष्ट गुण के कारण यह मानसिक दबाव और थकान को कम करने का काम करता है। यह अनिद्रा के मरीजों और मानसिक बीमारियों जैसे कम होती याददाश्त, अवसाद और तनाव में उपयोगी होता है।

- लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है। 

- चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने से बुखार ठीक हो जाती है।

डायबिटीज::
खून की सफाई के साथ-साथ लौंग का तेल ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार होता है।

Sunday 21 October 2012

डेंगू बुखार का इलाज !

कमड़ तोड़ती मंहगाई के समय मे आम आदमी का कुछ तो पैसा बचाये ! जरूर शेयर करे !
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डेंगू बुखार का इलाज !
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गिलोय बेल की डंडी ले ! डंडी के छोटे टुकड़े करे ! 
2 गिलास पानी मे उबाले ! जब पानी आधा रह जाये !
ठंडा होने पर रोगी को पिलाये ! 
मात्र 45 मिनट बाद cell बढ़ने शुरू हो जाएँगे !! 
इससे अच्छा और सस्ता कोई इलाज नहीं डेंगू बुखार का ! 

more info about your health !
must click here ! 
https://www.youtube.com/watch?v=qAF4sj0uiUs

वन्देमातरम ! —

Thursday 18 October 2012

किशमिश


किशमिश
 


32 किशमिश खाने से छू मंतर हो जाएगा ब्लड प्रेशर=
आपको अक्सर चक्कर आते हैं, कमजोरी महसूस होती है तो हो सकता है कि आप लो ब्लड प्रेशर के शिकार हों। ज्यादा मानसिक तनाव, कभी क्षमता से ज्यादा शारीरिक काम करने से अक्सर लोगों में लो ब्लडप्रेशर की शि
कायत होने लगती है।
कुछ लोग इसे नजरअन्दाज कर देते हैं तो कुछ लोग डॉक्टर के यहां चक्कर लगाकर परेशान हो जातें हैं। लेकिन आयुर्वेद में लो ब्ल्डप्रेशर को कन्ट्रोल करने के लिए कारगर इलाज है वो है किशमिश। नीचे बताई जा रही विधि को लगातार 32 दिनों तक प्रयोग में लाने से आपको कभी भी लो ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होगी।
-32 किशमिश लेकर एक चीनी के बाउल में पानी में डालकर रात भर भिगोएं। सुबह उठकर भूखे पेट एक-एक किशमिश को खूब चबा-चबा कर खाएं,पूरे फायदे के लिए हर किशमिश को बत्तीस बार चबाकर खाएं। इस प्रयोग को नियमित बत्तीस दिन करने से लो ब्लडप्रेशर की शिकायत कभी नहीं होगी।
विशेष-जिसको लो बी पी की शिकायत हो और अक्सर चक्कर आते हों तो आवलें के रस में शहद मिलाकर चाटने से जल्दी आराम होता है।
-लो बी पी के समय व्यक्ति को ज्यादा बोलना नहीं चाहिए। चुपचाप बायीं करवट लेट जाना चाहिए थोड़ी देर में नीदं आ जाएगी और लो बी पी में फायदा होगा।


Tuesday 16 October 2012

एलोवेरा एक संजीवनी.....


 


एलोवेरा एक संजीवनी......

औषधी की दुनिया में एलोवेरा किसी चमत्कार से कम नहीं। एलोवेरा से तमाम रोग दूर किए जा सकते हैं। एलोवेरा औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। एलोवेरा के जूस और एलोवेरा युक्त उत्पाद के सेवन और इस्तेमाल से फिट रहा जा सकता है। एलोवेरा एक संजीवनी है यानी इसमें संजीवनी बूटी के सभी गुण मौजूद हैं। आइए जानें आखिर एलोवेरा है क्या।

एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जिसमें अन्य सभी जड़ी-बूटियों के मुकाबले
 अधिक गुण है। यानी व्यक्ति को फिट रखने में एलोवेरा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं।
एलोवेरा के पौधे को कई नाम हैं, जैसे संजीवनी बूटी, साइलेंट हीलर, चमत्कारी औषधि । इसे कई अन्यो नामों ग्वारपाठा, क्वारगंदल, घृतकुमारी, कुमारी, घी-ग्वार इत्यादि से पुकारा जाता है।
एलोवेरा का उपयोग अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि बनाने में किया जाता है।
एलोवेरा के पौधे में वो सारे गुण समाहित है जिसे संजीवनी बूटी कह सकते है।
कब्ज़ से लेकर कैंसर तक के मरीजों के लिए एक अत्यंत लाभकारी औषधि है।
एलोवेरा में वो औष‍धीय तत्व हैं जो शरीर में नहीं बनते बल्कि एलोवेरा से ही प्राप्त होते हैं जैसे– कुछ खनिज, अमीनोएसिड। इन तत्वों को निरंतर शरीर की जरूरत रहती है जिसे पूरी करना भी जरूरी है।
एलोवेरा बढि़या एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है।
एलोवेरा में शरीर की अंदरूनी सफाई करने और शरीर को रोगाणु रहित रखने के गुण भी मौजूद है।
एलोवेरा हमारे शरीर की छोटी बड़ी नस,ना़डि़यों की सफाई करता है उनमें नवीन शक्ति तथा स्फूर्ति भरता है।
एलोवेरा औषि‍ध हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है और यह शरीर में जाकर खराब सिस्टम को ठीक करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
यह बैक्टीरिया नाशक है साथ ही मेटाबॉलिक प्रक्रिया को ठीक करता है।
शरीर में मौजूद हृदय विकार, जोड़ों के दर्द, मधुमेह, यूरीनरी प्रॉब्ल्म्स, शरीर में जमा विषैले पदार्थ इत्यादि को नष्ट करने में मददगार है।
त्वचा की देखभाल और बालों की मजबूती व बालों की समस्या से निजात पाने के लिए एलोवेरा एक संजीवनी का काम करती है।
बच्चे से लेकर वरिष्ठ लोगों तक सभी के लिए एलोवेरा किफायती है। इसके प्रयोग से बीमारियों से मुक्त रहकर लंबी उम्र तक स्वस्थ और फिट रहा जा सकता है।

Wednesday 10 October 2012

स्वास्थ्यवर्धक खजूर

‎____स्वास्थ्यवर्धक खजूर___
* खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देने वाला है। यह रक्त मांस व वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है।
** कब्जनाशकः खजूर में रेचक गुण भरपूर हैं। 8-10 खजूर 200
ग्राम पानी में भिगो दें, सुबह मसलकर इनका शरबत बना लें। फिर इसमें 300 ग्राम पानी और डालकर गुनगुना गर्म करें। खाली पेट चाय की तरह पी जायें। कुछ देर बाद दस्त होगा। इससे आँतों को बल और शरीर को स्फूर्ति भी मिलेगी। उम्र के अनुसार खजूर की मात्रा कम-ज्यादा करें।
** शैयामूत्रः जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें।
** बच्चों के दस्त में- बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें बार-बार हरे दस्त होते हों या पेचिश पड़ती हो तो खजूर के साथ शहद को अच्छी तरह फेंटकर एक-एक चम्मच दिन में 2-3 बार चटाने से लाभ होता है।
** तन-मन की पुष्टिः बच्चों को दूध में खजूर उबाल के देने से उन्हें शारीरि-मानसिक पोषण मिलता है व शरीर सुदृढ़ बनता है।

** नशा-निवारकः शराबी प्रायः नशे की झोंक में इतनी शराब पी जाता है कि उसका यकृत नष्ट होकर मृत्यु का कारण बन सकता है। इस स्थिति में ताजे पानी में खजूर को अच्छी तरह मसलते हुए शरबत बनायें। यह शरबत पीने से शराब कै विषैला प्रभाव नष्ट होने लगता है।

** खजूर रक्त को बढ़ाता है और यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है। रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है।

***पोषक तत्वों से भरपूर खजूर****
* दांतों का गलना – छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैलशियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।
* रक्तचाप – कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठ
ली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जायेगी।
* कब्ज – सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।
* पुराने घाव – पुराने घावों के लिए खजूर की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावों पर इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं।
* मासिक धर्म : छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।
* खजूर गर्भवती महिलाओं में दूध की मात्रा में वृद्धि करता है और अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।
* आंख की पलक पर गुहेरी रोग हो जाता है। खजूर की गुठली को रगड़कर गुहेरी पर लगाए। आराम मिलेगा।
* मोटापा - खजूर का सेवन मोटापा लाता है तथा शरीर का भार बढ़ता है, अतः मोटे व्यक्ति सोचकर खाए। दुबले व्यक्ति भार बढ़ाने के लिए खा सकते हैं।
* जिनकी पाचन शक्ति अच्छी हो वे खजूर खाएं, क्योंकि यह पचाने में समय लेती है। छुहारे, पुरा वर्ष उपलब्ध रहते है। खजूर केवल सर्दी में तीन महीने। जब जो उपलब्ध हो, उसका सेवन करें।

गिलोय- अमृत बेल (Tinospora cordifolia)

*गिलोय- अमृत बेल (Tinospora cordifolia) *
गिलोय को अमृता भी कहा जाता है .
*यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये
नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये ।
***************************************
1-अगर आप वातज विकारों से ग्रसित हैं तो गिलोय का पाँच ग्राम चूर्ण घी के साथ लीजिये ।
2- पित्त की बिमारियों में गिलोय का चार ग्राग चूर्ण चीनी या गुड के साथ खालें तथा अगर आप कफ से संचालित किसी बीमारी से परेशान हो गए है तो इसे छः ग्राम कि मात्र में शहद के साथ खाएं ।
3-इसे सोंठ के साथ खाने से आमवात-जनित बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ।
4-गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को काबू में लाया जा सकता है।
5-इसकी डंडी का ही प्रयोग करते हैं ; पत्तों का नहीं . उसका लिसलिसा पदार्थ ही दवाई होता है
डंडी को ऐसे भी चूस सकते है . चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें . हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी
6-इससे पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश, आंव , त्वचा की बीमारी , liver की बीमारी हिचकी की बीमारी आदि ढेरों बीमारियाँ ठीक होती हैं .
7-शरीर में गर्मी अधिक है तो इसे कूटकर रात को भिगो दें और सवेरे मसलकर शहद या मिश्री मिलाकर पी लें .
8-अगर platelets बहुत कम हो गए हैं , तो चिंता की बात नहीं , aloe vera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं .
9-यह त्रिदोशघ्न है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं .
10-सामान्य जुकाम: गिलोय का ५ इंच तना लेकर इसको अच्छी तरह से कुट कर एक कप पानी मे उबाले , जब अधा कप पानी रह जाए तो इसकी चाय बनाकर और इसमे ३ काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम गरम पी जाये। एकदम असर करेगा।
11- जीर्ण ज्वर : आधे गिलास पानी मे ६ इन्च गिलोय का तना कुट कर अच्छी तरह मिलाकर मिट्टी कि हाण्डी मे रात के लिये रख दे, सुबुह होने पर छान कर इसको पी जाए। ऎसा ६ दिनो. तक लगातार करे।
12- बच्चों के सामान्य जुकाम नजला, खांसी, बुखार पर: गिलोय के पत्तों का रस निकाल कर उसको शहद मे मिलाकर दो तीन बार चटा दे। एक दम असर करेगा
***********************
गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है . इसे गिलोय सत कहते हैं .
इसका आरिष्ट भी मिलता है जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं . अगर ताज़ी गिलोय न मिले तो इन्हें भी ले सकते

Tuesday 18 September 2012

गाय का घी(देशी भारतीय नस्ल की गौ माता )

गाय का घी(देशी भारतीय नस्ल की गौ माता )

गाय के घी को अमृत कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है।
दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है।
सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जा
ता है।
गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।
20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
गाय के घी की झाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।

अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन संतुलित होता है यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।

देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।

गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ठीक हो जाता है
गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
विशेष :-स्वस्थ व्यक्ति भी हर रोज नियमित रूप से सोने से पहले दोनों नशिकाओं में हल्का गर्म (गुनगुना ) देसी गाय का घी डालिए ,गहरी नींद आएगी, खराटे बंद होंगे और अनेको अनेक बीमारियों से छुटकारा भी मिलेगा।

Wednesday 12 September 2012

गन्ना (गुड़ )

चीनी vs गुड़ !
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 दोस्तो चीनी की पहली मिल भारत मे 1860 मे अंग्रेज़ो द्वारा लगाई गई ! उस से पहले भारत मे सब लोगो गुड ही खाते थे ! चीनी मिल लगाने के बाद अंग्रेज़ो ने एक कानून बनाया !!कि भारत का किसान गन्ने से गुड बनाकर नहीं बेच सकता है !!ताकि उसके गन्ने से सिर्फ चीनी ही बनाई जा सके और लानत है इस आजादी पर आज भी ये कानून भारत मे चल रहा ! हमारा किसान अपने मर्जी से गन्ने से गुड बनाकर नहीं बेच सकता !! जो किसान बेचते है वे चोरी बेचते हैं !! उसको सारा गन्ना चीनी मिलो को देना पढ़ता है !! और इस देश मे गनना सबसे सस्ता खरीदा जाता है किसानो !! और चीनी सबसे महंगी बिकती है !! सारा पैसा चीनी मिले अंदर कर रही हैं !!2 -2 साल चीनी मिले किसानो को payment नहीं करती !



गुड़ भी गन्ने से बनता है और चीनी भी !! बस फर्क इतना है गन्ने से जब चीनी बनाई जाती है !! तो गन्ने से रस को गरम करते जाओ !! और ठंडा हुआ और बन गया गुड़ !!

जबकि गन्ने से जब चीनी बनाई जाती है !! तो 21 तरह के जहरीले कैमिकल डाले जाते हैं !! और उसमे सबसे खतरनाक कैमिकल है !! उसका नाम है सल्फर !मतलब दिवाली के पटाखो मे डाला जाने वाला मसाला !! एक बार आप किसी चीनी मिल मे चीनी बनते देख लिया !! तो आप हैरान हो जाएंगे !! के ये हम क्या खा रहे है ??!!



चीनी बनाने की प्रक्रिया में गन्ने के रस में मौजूद फ़ासफ़ारस खत्म हो जाता है ये कफ़ को संतुलित करने के लिये जरूरी है, चीनी जब हमारे शरीर में जाकर जब पचती है तो इससे अंत में अमल(एसिड) बनता है और जब गुड पचता है तो श्रार बनता है जो अमल को खत्म करता है पर चीनी खाने से अमल(एसिड) खत्म होने की जगह बढ जाता है और रक्त में मिलने लगता है और इससे अनेकों वात रोग पैदा होते है
चीनी को पचाने के लिये बहुत समय लगता है पर गुड आसानी से पच जाता है और बाकी खाई हुई चीजों को भी बचा देता है

1- चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं। चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है!

2-चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है।

3- चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं!

4-चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हर्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है! 

5-चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है। यहाँ पढ़ें www.macrobiotics.co.uk/sugar.htm

6-गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है!

7-गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं!

8- गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है। खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ। आपको कभी बीमारी नहीं होगी!

9-च्युइँगगम और कैँडी खाने से दाँत खराब होते हैं!

10-गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा! 

11- गुड को दूध में मिलाके पीना वर्जित है इसलिये पहले गुड खाकर फ़िर दूध पिये

12- गुड को दही में मिलाके खाया जा सकता है बिहार में खासकर इसे खाया जाता है जो काफ़ी स्वादिष्ट लगता है 

13- गुड की गज्ज्क, रेवडी आदि भी अच्छी होती है

!!!


और मित्रो शुगर कि बीमारी भारत मे 5 करोड़ लोगो को है !! और इस video मे सबसे बढ़िया इलाज है ! एक बार जरूर देखे और शेयर करे !!!!
http://www.youtube.com/watch?v=qAF4sj0uiUs 

Friday 7 September 2012

माजूफल

माजूफल के औष्धीय प्रयोग ::

विभिन्न रोगों में सहायक :

1. बवासीर में दर्द का होना और मलद्वार का निकलना: 1 गिलास पानी में माजूफल पीसकर डालें और 10 मिनट तक उबाल लें, ठंडी होने के बाद इससे मलद्वार को धोयें। इससे मलद्वार का बाहर निकलना और बवासीर का दर्द दूर होता है।

2. अंडकोष के रोग: 12 ग्राम माजूफल और 6 ग्राम फिटकरी को पानी में पीसकर अंडकोष पर लेप करें। 15 दिन लेप करने से अण्डकोषों में भरा पानी सही हो जाता है।

3. अंडकोष की सूजन: 10-10 ग्राम माजूफल और असगंध लेकर पानी के साथ पीस लें, फिर इसे थोड़ा-सा गर्म करके अण्डकोष पर बांधें। इससे अंडकोष की सूजन मिट जाती है।

4. दांतों का दर्द:

1 माजूफल एवं 1 सुपाड़ी को आग पर भून लें तथा 1 कच्चे माजूफल के साथ मिलाकर बारीक पाउडर बनाकर मंजन बना लें। इससे रोजाना 2 बार मंजन करने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
फिटकरी को फुला लें। माजूफल और हल्दी के साथ फूली हुई फिटकरी को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर पाउडर बना लें। इससे मंजन करने पर दांतों की पीड़ा शांत होती है।
दांतों में तेज दर्द होने पर माजूफल को पीसकर दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे तेज दर्द में जल्द आराम मिलता है तथा दांतों से खून का आना बंद हो जाता है।

5. आंखों की खुजली: माजूफल और छोटी हरड़ को पीसकर आंखों में लगाने से आंखों की खुजली समाप्त होती है।

6. मसूढ़ों का रोग: माजूफल को बारीक पीसकर और छानकर सुबह-शाम मसूढ़ों पर मालिश करने से मसूढ़ों के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।

7. दांतों से खून आना: दांतों से खून निकल रहा हो तो माजूफल को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे मंजन करने से दांतों से खून का निकलना बंद हो जाता है।

8. दांत मजबूत करना: 5 ग्राम माजूफल, 4 ग्राम भुनी फिटकरी, सफेद कत्था 6 ग्राम और 1 ग्राम नीलाथोथा भुना हुआ को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं।

9. दांतों में ठंडी लगना: माजूफल को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांतों में पानी का लगना और खून निकलना बंद हो जाता है तथा दांत मजूबत होते हैं।

10. पायरिया:

20 ग्राम माजूफल, 1 ग्राम पोटेशियम परमैगनेट और 30 ग्राम पांचों नमक को मिलाकर बारीक पाउडर बना लें। इसके पाउडर से मंजन करने से पायरिया रोग दूर हो जाता है।
माजूफल के चूर्ण का दांतों पर मंजन करने से मुंह व मसूढ़ों के घाव एवं मसूढ़ों से खून का निकलना बंद होता है तथा पायरिया रोग में लाभ मिलता है।

11. कांच निकलना (गुदाभ्रंश):

2 ग्राम भुनी फिटकरी को 2 माजूफल के साथ पीसकर 100 ग्राम पानी में मिलाकर घोल बना लें। इस घोल में रूई को भिगोकर गुदा पर लगाएं और गुदा को अन्दर कर लंगोट बांध दें। लगातार 4-5 दिन तक इसका प्रयोग करने से गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद हो जाता है।
माजूफल और फिटकरी का पाउडर बनाकर गुदा पर छिड़कने से दर्द में आराम आता है।
1 गिलास पानी में 2 माजूफल को पीसकर डालें और आग पर उबाल लें। ठंडी होने पर उस पानी से मलद्वार को धोने से गुदा का बाहर आना बंद हो जाता है।
10-10 ग्राम माजूफल, फिटकरी तथा त्रिफला चूर्ण को लेकर पानी में भिगो दें। 1 से 2 घंटे भिगोने के बाद पानी को कपड़े से छानकर मलद्वार को धोने से गुदाभ्रंश ठीक हा जाता है।

12. गर्भधारण: 60 ग्राम माजूफल को पीसकर छान लें। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद 3 दिनों तक गाय के दूध से सेवन करना चाहिए। इससे गर्भ स्थापित होता है।

13. मुंह के छाले:

माजूफल के टुकड़े को सुपारी की तरह चबाते रहने से मुंह के छाले और दाने आदि खत्म हो जाते हैं।
5-5 ग्राम माजूफल, कत्था, वंशलोचन तथा छोटी इलायची के दाने लेकर पीसकर और छानकर चूर्ण बना लें। इस 1 चुटकी चूर्ण को बच्चे के मुंह में सुबह-शाम छिड़कने से बच्चों के मुंह के छाले खत्म हो जाते हैं।

14. मुंह का रोग: 10 ग्राम माजूफल, 10 ग्राम फिटकरी और 10 ग्राम कत्था को पीसकर व कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। रोजाना 2 से 3 बार इस चूर्ण को मुंह में छिड़कने से मुंह के रोगों में आराम मिलता है।

15. दस्त: माजूफल को घिसकर या पीसकर बने चूर्ण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खुराक के रूप में सेवन करने से अतिसार (दस्त) में लाभ मिलता है।

16. कान का बहना:

5 ग्राम माजूफल को पीसकर और कपड़े में छानकर 50 ग्राम शराब में मिला लें। इसकी 2-2 बंदे कान को साफ करके सुबह-शाम डालने से कान से मवाद बहना बंद होता है।
माजूफल को बारीक पीसकर सिरके में डालकर उबाल लें। उबलने के बाद इसे छानकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना बंद हो जाता है।

17. घाव:

माजूफल को जलाकर उसकी राख एकत्र कर लें। इस राख को कपड़े से छानकर घाव पर छिड़कने से घाव ठीक हो जाता है।
माजूफल को पानी में पीसकर घाव पर पट्टी बांधने से लाभ मिलता है। इससे घाव जल्दी ठीक हो जाता है और घाव से खून भी आना बंद हो जाता है।
माजूफल को पीसकर और छानकर पानी में पीसकर घाव पर लगाकर पट्टी बांध लें। इससे खून बहना बंद हो जायगा, घाव भी भर जाएगा और हड्डी भी जुड़ जाती है।

18. श्वेतप्रदर: 1-2 ग्राम की मात्रा में माजूफल का चूर्ण ताजे पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है।

19. रक्तप्रदर: 25 ग्राम माजूफल को लेकर 200 ग्राम पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। फिर उसमें 3-3 ग्राम रसौत, फिटकरी मिलाकर योनि को साफ करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।

20. नकसीर: माजूफल को पीसकर और किसी कपड़े में छानकर नाक से सूंघने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।

21. तंग योनि को शिथिल करना: 10 ग्राम माजूफल को पीसकर रख लें, फिर इसमें आधा ग्राम कपूर का चूर्ण और शहद मिलाकर योनि पर लगायें। इससे योनि शिथिल (ढीली) हो जाती है।

22. योनि का दर्द: माजूफल को पानी के साथ पीसकर लुगदी बना लें। फिर इसमें रूई को भिगोकर स्त्री की योनि में संभोग (सहवास) करने से पहले रख दें, इसके बाद संभोग करने से योनि में दर्द नहीं होता हैं। ध्यान रहे कि इसका प्रयोग गर्भ को रोकने के लिए भी प्रयोग किया जाता है, इसलिए सोच समझकर ही इस्तेमाल करें।

23. योनि का संकोचन:

माजूफल, शहद और कपूर को एक साथ पीसकर मिला लें, फिर इसे अंगुली की मदद से योनि में लगाने से योनि संकुचित हो जाती है।
माजूफल, धाय के फूल, फिटकरी को पीसकर बेर के आकार की गोली बनाकर योनि के अन्दर रखने से योनि छोटी हो जाती है।

24. होठ को पतला करना: माजूफल को पीसकर दूध या पानी में पीसकर रात को सोते समय होठों पर लगातार 1 सप्ताह तक लगाने से होठ पतले हो जाते हैं।