Saturday 1 September 2012

अनन्नास के औषधीय प्रयोग





अनन्नास के औषधीय प्रयोग :




"1 अजीर्ण (अपच) होने पर:-*पके अनन्नास के बारीक टुकड़े को सेंधानमक और कालीमिर्च मिलाकर खाने से अजीर्ण दूर होता है।

*पके अनन्नास के 100 ग्राम रस में 1-2 पीस अंगूर और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक मिलाकर खाने से अजीर्ण दूर होता है।

*भोजन के बाद यदि पेट फूल जाये, बैचेनी हो तो अनन्नास के 20-50 ग्राम रस के सेवन से लाभ होता है।

*अनन्नास और खजूर के टुकड़े बराबर-बराबर लेकर उसमें घी और शहद मिलाकर कांच के बरतन में भरकर रखें। इसे नित्य 6 या 12 ग्राम की मात्र

ा में खाने से बहुमूत्र रोग दूर होता है और शक्ति बढ़ती है।"




2 पेट में बाल चला जाने पर:-*पका हुआ अनन्नास खाने से पेट में बाल चले जाने से उत्पन्न हुई पीड़ा खत्म हो जाती है।

*पके अनन्नास के छिले हुए टुकड़ों पर कालीमिर्च और सेंधानमक डालकर खाने से खाया हुआ बाल कांटा या कांच पेट में गल जाता है।"




3 बहुमूत्र (पेशाब का बार-बार आना) का रोग:-*पके हुए अनन्नास को काटकर उसमें कालीमिर्च का चूर्ण और चीनी मिलाकर खाना चाहिए।

*अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़ों पर पीपर का चूर्ण छिड़कर खाने से बहुमूत्र का रोग दूर हो जाता है। पके अनन्नास का छिलका और उसके भीतर का अंश निकालकर शेष भाग का रस निकाल लें फिर इसमें जीरा, जायफल, पीपर कालानमक और थोड़ा-सा अम्बर डालकर पीने से भी बहुमूत्र का रोग मिटता है।

*अनन्नास के टुकड़ों पर पीपर का चूर्ण डालकर खाने से बहुमूत्र के विकार में बहुत लाभ होता "




4 अनन्नास का मुरब्बा:-पके अनन्नास के ऊपर का छिलका और बीच का सख्त हिस्सा निकाल लें, उसके बाद फल के छोटे-छोटे टुकड़े करके उन्हें एक दिन चूने के पानी में रखें। दूसरे दिन उन्हें चूने के पानी में से बाहर निकालकर सुखा दें। उसके बाद चीनी की चाशनी बनाकर अनन्नास के टुकड़ों को उसमें डाल दें। इसके बाद नीचे उतार लें और ठंडा होने पर उसमें थोड़ी-सी इलायची पीसकर, थोड़ा गुलाब जल को डालकर मुरब्बा बनाकर सुरक्षित रख लें। यह मुरब्बा पित्त का शमन करता है और मन को प्रसन्न करता है।




5 शरीर की गर्मी को शांत करने वाला:-पके अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़े करके उनको कुचलकर रस निकालें उसके बाद इस रस से दुगुनी चीनी लेकर उसकी चासनी बनाएं। इस चाशनी में अनन्नास का रस डालकर शर्बत बनाएं। यह योग गर्मी को नष्ट करता है, हृदय को बल प्रदान करता है और पित्त को प्रसन्न करता है।




6 रोहिणी या कण्ठ रोहिणी:-अनन्नास का रस रोहिणी की झिल्ली को काट देता है, गले को साफ रखता है। इसकी यह प्रमुख प्राकृतिक औषधि है। ताजे अनन्नास में पेप्सिन पित्त का एक प्रधान अंश होता है जिसमें गले की खराश में लाभ होता है।




7 सूजन:-*शरीर की सूजन के साथ पेशाब कम आता हो, एल्बब्युमिन मूत्र के साथ जाता हो, मंदाग्नि हो, आंखों के आस-पास और चेहरे पर विशेष रूप से सूजन हो तो ऐसी दशा में नित्यप्रति अनन्नास खायें और खाने में सिर्फ दूध पर रहें। तीन सप्ताह में लाभ हो जाएगा।

*100 ग्राम की मात्रा में रोजाना अनन्नास का जूस (रस) पीने से यकृत वृद्धि के कारण होने वाली सूजन खत्म हो जाती है।

*रोजाना पका हुआ अनन्नास खाने और भोजन में केवल दूध का प्रयोग करने से पेशाब के कम आने के कारण, यकृत बढ़ने के कारण, भोजन के अपच आदि कारणों से आने वाली सूजन दूर हो जाती है। ऐसा लगभग 21 दिनों तक करने से सूजन पूरी तरह से खत्म हो जाती है।

*अनन्नास के पत्तों पर एरंड तेल चुपड़कर कुछ गर्म करें और सूजन पर बांध दें। इससे सूजन विशेषकर पैरों की सूजन तुरंत दूर हो जाती है।

*अनन्नास का रस पीने से 7 दिनों में ही शारीरिक सूजन नष्ट होती है।"




8 शक्तिवर्द्धक:-अनन्नास घबराहट को दूर करता है। प्यास कम करता है, शरीर को पुष्ट करता है और तरावट देता है। खांसी-जुकाम नहीं करता। दिल और दिमाग को ताकत देता है। अनन्नास का रस पीने से शरीर के अस्वस्थ अंग स्वस्थ हो जाते हैं। गर्मियों में अनन्नास का शर्बत पीने से तरी, ताजगी और ठंडक मिलती है, प्यास बुझती है, पेट की गर्मी शांत होती है, पेशाब खुलकर आता है पथरी में इसीलिए यह लाभकारी है।




9 फुन्सियां:-अनन्नास का गूदा फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता है।




10 मोटापा होने पर:-प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है, क्योंकि अनन्नास वसा (चर्बी) को नष्ट करता है।




11 अम्लपित्त की विकृति:-अनन्नास को छीलकर बारीक-बारीक टुकड़े करके, उनपर कालीमिर्च का चूर्ण डालकर खाने से अम्लपित्त की विकृति नष्ट होती है।




12 खून की कमी (रक्ताल्पता):-यदि शरीर में खून की कमी हो तो अनन्नास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है। अनन्नास से रक्तवृद्धि होती है और पाचन क्रिया तीव्र होने से अधिक भूख लगती है।




13 बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर:-कुछ दिनों तक सुबह-शाम अनन्नास का रस पिलाएं। इससे कीडे़ शीघ्र नष्ट होते हैं




14 गुर्दे की पथरी:-अनन्नास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है।




15 आंतों से अम्लता का निष्कासन:-अनन्नास के रस में अदरक का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से आंतों से अम्लता का निष्कासन होता है।




16 स्मरणशक्ति:-अनन्नास के रस के सेवन से स्मरणशक्ति विकसित होती है।




17 खांसी एवं श्वास रोग:-*श्वास रोग में अनन्नास फल के रस में छोटी कटेरी की जड़, आंवला और जीरा का समभाग चूर्ण बनाकर शहद के साथ सेवन करें।

*पके अनन्नास के 10 ग्राम रस में पीपल मूल, सोंठ और बहेड़े का चूर्ण 2-2 ग्राम तथा भुना हुआ सुहागा व शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी एवं श्वास रोग में लाभ होता है।

*अनन्नास के रस में मुलेठी, बहेड़ा और मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।"




18 मधुमेह (शूगर):-अनन्नास मधुमेह में बहुत लाभकारी है। अनन्नास के 100 ग्राम रस में तिल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, गोखरू और जामुन के बीजों का चूर्ण 10-10 ग्राम मिला दें। सूखने पर पाउडर बनाकर रखें। इस चूर्ण को सुबह-शाम तीन ग्राम की मात्रा में सेवन करने से बहुमूत्ररोग तथा मधुमेह ठीक हो जाता है। भोजन में दूध व चावल लेना चाहिए तथा लालमिर्च, खटाई और नमक से परहेज रखना चाहिए।




19 उदर (पेट) रोग में:-*पके अनन्नास के 10 ग्राम रस में भुनी हुई हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, सेंधानमक और अदरक का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से उदर शूल और गुल्म रोग में लाभ होता है।

*अनन्नास के रस में यवक्षार, पीपल और हल्दी का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिलाकर सेवन करने से प्लीहा, पेट के रोग और वायुगोला 7 दिनों में नष्ट हो जाता है।

*अनन्नास के रस में, रस से आधी मात्रा में गुड़ मिलाकर सेवन करने से पेट एवं बस्तिप्रदेश (नाभि के नीचे के भाग) में स्थित वातरोग नष्ट होता है। पेट में यदि बाल चला गया हो तो, अनन्नास के खाने से वह गल जाता है।"




20 जलोदर (पेट में पानी की अधिकता) होना:-अनन्नास के पत्तों के काढ़े में बहेड़ा और छोटी हरड़ का चूर्ण मिलाकर देने से दस्त और मूत्र साफ होकर, जलोदर में आराम होता है।




21 कामला (पीलियां):-*हल्दी चूर्ण 2 ग्राम और मिश्री तीन ग्राम मिलाकर सेवन करने से कामला रोग में लाभ होता है।

*अनन्नास का रस पीलिया रोग को दूर करता है।"




22 मासिक-धर्म की रुकावट होने पर:-*अनन्नास के कच्चे फलों के 10 ग्राम रस में, पीपल की छाल का चूर्ण और गुड़ 1-1 ग्राम मिलाकर सेवन करने से मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है।

*अनन्नास के पत्तों का काढ़ा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पीने से भी मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है।"




23 कृमि रोग:-पके अनन्नास के रस मे

ं छुहारा खुरासानी अजवायन और बायविडंग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर, थोडे़ से शहद के साथ 5-10 ग्राम की मात्रा में चटाने से बालकों के कृमि रोग नष्ट होते हैं।

अनन्नास के पत्तों के रस में थोड़ा शहद मिलाकर रोज 2 ग्राम से 10 ग्राम तक सेवन करने कृमि रोग नष्ट होता है।"




24 बुखार:-अनन्नास फलों का रस देने से अथवा 20 ग्राम रस में शहद मिलाकर पिलाने से, पसीना आता है, मूत्र खुलकर आता है और बुखार का वेग कम हो जाता है।




25 पित्त के लिए:-*इसके पके फलों के टुकड़े करके एक दिन चूने के पानी में रखकर, सुखाकर, शक्कर की चासनी में डालकर मुरब्बा बना लें। यह पित्त का शमन और चित्त को प्रसन्न करता है।

*अनन्नास का शर्बत या रस 10 ग्राम और चाशनी 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पित्त शांत और हृदय शक्तिशाली होता है।"




26 दांतों का दर्द:-पके हुए अनन्नास का रस निकालकर उसके रस को रूई में भिगोकर मसूढ़ों पर लगाने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।




27 कब्ज:-अनन्नास के कच्चे फल का रस 40 ग्राम से लेकर 80 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से मल आसानी से निकल जाता है।




28 कैन्सर (कर्कट) रोग:-अनन्नास का रस 1 गिलास रोजाना सुबह-शाम पीने से शरीर के अंदर के एक-एक अस्वस्थ तन्तु स्वस्थ हो जाते हैं तथा शरीर हर तरह से रोगों से मुक्त हो जाता है।




29 गर्भपात (गर्भ का न ठहरना):-कच्चे अनन्नास का रस बार-बार अधिक मात्रा में पीने से गर्भपात हो जाता है।




30 अग्निमान्द्यता (अपच):-* अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़ों में सेंधानमक और कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण के रूप में डालकर खाने से अपच, अजीर्ण और मंदाग्नि में लाभ होता है।

*अनन्नास के ताजे फल को काटकर सेंधानमक और कालीमिर्च के साथ देने लाभ होता है।"

31 पेट के कीड़ों के लिए:-*अनन्नास के 20 ग्राम रस में अजवायन 2 ग्राम, बायविंडग का चूर्ण 2 ग्राम को मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

*अनन्नास के फल का 1 गिलास रस रोजाना पीने से लाभ होता हैं।

*अनन्नास को खाली पेट खाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।

*अनन्नास के फल का रस सुबह 7 दिन तक खुराक के रूप में पिलाने से पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं। ध्यान रहे कि इसका रस गर्भवती महिलाओं को पीने नहीं देना चाहिए।"




32 पेट में दर्द:-अनन्नास के 10 ग्राम रस में अदरक का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, भुनी हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को मिलाकर पीने से पेट में होने वाले दर्द में आराम मिलता है।




33 मूत्ररोग:-अनन्नास का रस व शर्बत पीने से पेशाब में जलन की विकृति खत्म होती है




34 एलर्जी:-अनन्नास का रस एलर्जी वाले स्थान पर लगाने और पीने से लाभ होता है।




35 हृदय के रोग:-अनन्नास में कई ऐसे रस पाए जाते हैं जो पाचक रस (एंजाइम) के रूप में कार्य करते हैं। इसके नियमित सेवन से हृदय सम्बन्धी सामान्य रोगों से मुक्ति मिलती है। इसका अम्लीय गुण शरीर में बनने वाले अनावश्यक पदार्थों को बाहर निकाल देता है और शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है।

एक कप अनन्नास का रस रोजाना पीने से दिल की बीमारी से निजात मिलती है|"




36 तुंडिका शोथ (टांसिल):-अनन्नास का रस पीने से टांसिलों की सूजन का दर्द समाप्त होता है।




37 घमौरियों के होने पर:-अनन्नास का गूदा घमौरियों पर लगाने से लाभ होता है।




38 कंठ रोहिणी के लिए:-अनन्नास का रस पीने से कंठ रोहिणी (डिप्थीरिया) की झिल्ली कट जाती है और गला साफ हो जाता है। यह इस रोग की प्रमुख औषधि है। ताजे अनन्नास में `पेप्सिन´ (पित्त का प्रधान अंश) होता है। इससे गले की खराश में बहुत आराम आता है।




39 टांसिल का बढ़ना:-टांसिल के बढ़ जाने पर अनन्नास का जूस गर्म करके पीना चाहिए।




40 गले के रोग में:-*अनन्नास का रस पीने से गले की सूजन और तालुमूल प्रदाह (तालु की जलन) समाप्त हो जाती है।

*गले के अलग-अलग रोगों में अनन्नास का रस पीने से बहुत लाभ मिलता है|"

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