Tuesday 10 December 2013

देशी फल--जन्गल जलेबी





देशी फल ---ढूंढे नहीं मिल रहे देशी फल




विदेशी फलों की भरमार से तमाम देशी और मौसमी फल बाजार से गायब होते जा रहे हैं। बाजारों में न्यूजीलैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इटली आदि देशों के फल धड़ल्ले से बिक रहे हैं, लेकिन वनों में सहज पैदा होने वाले मौसमी फल तेन्दू, अचार, खिरनी या खिन्नी, शहतूत, कसेरू, कबीट, लाल इमली छोटे शहरों के बाजारों में भी ढूंढे नहीं मिलते हैं। जिन लोगों को इन फलों के बारे में पता है और जिन्होंने इन फलों को खाने का मजा लिया है, आज वे केवल इनके नाम को ही याद रखे हुए हैं।

लोगों की स्मृतियों से जुड़े पारम्परिक फलों के लुप्त होने की वजह अलग-अलग हैं। पहली तो यह कि शहर के चौतरफा विस्तार से पारम्परिक फलों के वृक्ष खत्म हो गए। दूसरी यह है कि बच्चों और बड़ों में नए प्रकार के फलों का आकर्षण बढ़ गया। जंगली क्षेत्र में पारम्परिक फलों का वनोपज मानते हुए वन विभाग के अमले ने इसे तोड़ने पर बंदिश लगा दी। हरी इमली और चिट्टेदार इमली भी सड़कों पर बिकती नजर नहीं आती। इसी तरह जंगल जलेबी के नाम से मशहूर है, अब गायब हो गई है। तीनों प्रकार की इमली का जायका नए जमाने के कई लोगों ने लिया भी नहीं होगा, हालांकि कबीट बाजारों में नजर आ रहा है। इसकी बिक्री में कोई कमी नहीं आई है। ताल में होने वाले सिंघाड़े भी गायब हो गए हैं। बड़े होटलों में कबीट की चटनी का चलन बढ़ने से विक्रेताओं को ग्राहकों की फ्रिक नहीं है।

शहतूत की मिठास और खट्टे मीठे कमरख का जायका बीते जमाने की बात हो गई है। अचार, कसेरू, जंगल जलेबी के नाम से मशहूर इमली का भी यही हाल है। बाजार में ढूंढने पर भी यह फल दिखाई नहीं देते। इनकी जगह विदेशों से आयात हो रहे फलों ने ले ली है। अब लोग बाबू कोशा, कीवी और अमेरिका तथा न्यूजीलैंड से आ रहे सेवों का स्वाद चखना चाहते हैं। स्कूल के सामने सार्वजनिक स्थानों पर किसी जमाने में हाथ ठेलों पर तेंदू, अचार, खिन्नी, करोंदे, शहतूत, कसेरू, कबीट, इमली आदि बिका करते थे। इन ठेलों पर हर उम्र के लोग फलों का लुप्त लेते नजर आते थे। इसी तरह कबीट जैसे दिखने वाला भील फल भी गायब हो गया है।

आयुर्वेद में कबीट को पेट रोगों का विशेषज्ञ माना गया है। इसका जहाँ शरबत इस्तेमाल किया जाता है, वहीं चटनी भी खूब पसंद की जाती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक कबीट के गूदे को तरोताजगी प्रदान करने वाला मानते हैं। कच्चे कबीट में एस्ट्रीजेंट्स होते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। यह डायरिया और डीसेंट्री के मरीजों के इलाज में मुफीद माना जाता है। मसूड़ों तथा गले के रोग भी इससे ठीक होते हैं। बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।



कबीट के गूदे से बहुत ही उम्दा किस्म की जैली बनाई जाती है जो दिखने के साथ ही गुणवत्ता में ब्लैक करंट या एप्पल जैली की तरह होती है। छोटे कबीट की खट्टी तासीर को चटनी बनाकर उपयोगी बना लिया जाता है। इसमें गुड़ या शकर के साथ जीरा मिर्च और काला नमक भी पीस लिया जाता है। यह अम्ल पित्त में औषधि का काम करती है।

Friday 6 December 2013

छोटे से नीबू में बडे औषधीय गुण




छोटे से नीबू में बडे औषधीय गुण

कोई भी मौसम हो, नींबू ऎसा फल है जो हर घर में हर समय मिलता है। यह केवल खाने का स्वाद ही नहीं बढाता बल्कि इसमें कई औषधीय व सौंदर्यवर्धक गुण भी मौजूद हैं। इसमें विटामिन-सी पर्याप्त मात्रा में होता है।
सौंदर्य निखार के लिए :
1. नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर रात में सिर में हल्के हाथ से, एक हफ्ते तक रोजाना मालिश कर, सुबह सिर धोने से बालों की खुश्की दूर हो जाती है।
2. यदि मालिश न भी करें तो सिर धोने के पानी में दो नींबू निचोडकर एक हफ्ता लगातार प्रयोग करने से बाल मुलायम होते हैं, उनका झडना कम होता है और खुश्की या रूसी भी कम होती है।
3. नारियल के तेल में नींबू का रस और कपूर लगाकर सिर की मालिश करने से बालों के रोग खत्म हो जाते हैं।
4. सुबह स्नान करने से पहले नींबू के छिलकों को चेहरे पर धीरे-धीरे मलकर 2-3 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। इसे 10-15 दिन लगातार करने से चेहरे का रंग साफ हो जाता है। यह बाजार में मिलने वाले किसी भी ब्लीचिंग क्रीम या ब्यूटी पार्लर में कराए जाने वाले ब्लीच का काम करेगा।
5. नींबू का रस और गुलाबजल समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाएं, कुछ दिनों के लगातार प्रयोग से चेहरा बेदाग,त्वचा कोमल व स्वच्छ हो जाती है।
6. नींबू और तुलसी की पत्तियों का रस समान मात्रा में मिलाकर किसी कांच के बर्तन में रख लें और दिन में कम से कम दो बार हल्के हाथ से चेहरे पर लगाएं। कुछ दिन के लगातार इस्तेमाल से चेहरे पर झाइयां व किसी भी प्रकार के निशान मिट जाते हैं।
7. चेहरा जल जाने पर यदि चेहरे पर काले दाग पड गए हों तो एक टमाटर के गूदे में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाकर सुबह-शाम लगाएं और थोडी देर बाद धो लें।
औषधि के रूप में
1. बदहजमी होने पर नींबू काटकर उसकी फांक या छोटे टुकडे में काला नमक लगाकर चूसने से आराम आता है।
2. जिनको भूख कम लगती है और पेट दर्द की शिकायत रहती है उनको नींबू की फांक में काला या सेंधा नमक लगाकर उसको तवे पर गर्म करके चूसने से न केवल दर्द में आराम मिलता है बल्कि भूख भी खुलकर लगती है।
3. यदि चक्कर आ रहे हों या उल्टी आ रही हों तो नींबू के टुकडे पर काला नमक, काली मिर्च लगाकर खाने से चक्कर आने बंद हो जाते हैं और उल्टी भी बंद हो जाती है।
4. एक गिलास पानी में एक नींबू का रस निचोडकर एक चम्मच चीनी पीसकर मिलाकर पीने से हैजे जैसा रोग भी ठीक हो जाता है