Thursday 15 August 2013

स्वास्थ्यवर्धक सौंफ



स्वास्थ्यवर्धक सौंफ




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मस्तिष्क संबंधी रोगों में सौंफ अत्यंत गुणकारी है। यह मस्तिष्क की कमजोरी के अतिरिक्त दृष्टि-दुर्बलता, चक्कर आना एवं पाचनशक्ति बढ़ाने में भी लाभकारी है। इसके निरंतर सेवन से दृष्टि कमजोर नहीं होती तथा मोतियाबिंद से रक्षा होती है।

* उलटी, प्यास, जी मिचलाना, पित्त-विकार, जलन, पेटदर्द, अग्निमांद्य, पेचिश, मरोड़ आदि व्याधियों में यह लाभप्रद है।

* सौंफ, धनिया व मिश्री का समभाग चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद लेने से हाथ-पाँव तथा पेशाब की जलन, अम्लपित्त (एसिडिटी) व सिरदर्द में आराम मिलता है।

* सौंफ और मिश्री का समभाग चूर्ण मिलाकर रखें। दो चम्मच मिश्रण दोनों समय भोजन के बाद एक से दो माह तक खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है तथा जठराग्नि तीव्र होती है।

* बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण दो कप पानी में अच्छी तरह उबाल लें। एक चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर ठण्डा कर लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन-चार बार पिलाने से पेट का अफरा, अपच, उलटी (दूध फेंकना), मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं।

* आधी कच्ची सौंफ का चूर्ण और आधी भुनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग कराएं इससे गैस और अपच दूर हो जाती है।

* भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फँकी लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है।

* बादाम, सौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद 1 टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।

* 5-6 ग्राम सौंफ लेने से लीवर ठीक रहता है और आंखों की ज्योति बढ़ती है।

* तवे पर भुनी हुई सौंफ के मिक्स्चर से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है। दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है।

* सौंफ की ठंडाई बनाकर पीएं। इससे गर्मी शांत होगी। हाथ-पाव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के बाद 5 से 6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

* अगर गले में खराश हो गई है तो सौंफ चबाना फायदेमंद होता है।


* सौंफ चबाने से बैठा हुआ गला भी साफ हो जाता है। रोजाना सुबह-शाम खाली सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा चमकती है। वैसे तो सौंफ का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इससे कई प्रकार के छोटे-मोटे रोगों से निजात मिलती है।

Friday 9 August 2013

गोमूत्र से मच्छर और अन्य कीड़े मकोड़े











देशी गाय के गोमूत्र को आल आउट आदि की खाली शीशी में भरकर चलाया जा सकता है. इससे मच्छर और अन्य कीड़े मकोड़े भी कमरे में नहीं आयेंगे. साथ ही ज़हरीले रसायनों के खतरनाक प्रभावों से छुटकारा मिलेगा. आज ही कर के देखिये. इन ज़हरीले रसायनों से छोटे बच्चें और गर्भवती महिलाएं सबसे ज़्यादा प्रभावित होती है और इसका बुरा असर अगली पीढ़ियों पर पड़ता है.

Monday 5 August 2013

इमली के औषधीय गुण







इमली के औषधीय गुण

(१) वीर्य – पुष्टिकर योग : इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें | इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |

(२) शराब एवं भांग का नशा उतारने में : नशा समाप्त करने के लिएपकी इमली का गूदा जल में भिगोकर, मथकर, और छानकर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिए |

(३) इमली के गूदे का पानी पीने से वमन, पीलिया, प्लेग, गर्मी के ज्वर में भी लाभ होता है |

(४) ह्रदय की दाहकता या जलन को शान्त करने के लिये पकी हुई इमली के रस (गूदे मिले जल) में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहियें |

(५) लू-लगना : पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलओं पर मलने से लू का प्रभाव समाप्त हो जाता है | यदि इस गूदे का गाढ़ा धोल बालों से रहित सर पर लगा दें तो लू के प्रभाव से उत्पन्न बेहोसी दूर हो जाती है |

(६) चोट – मोच लगना : इमली की ताजा पत्तियाँ उबालकर, मोच या टूटे अंग को उसी उबले पानी में सेंके या धीरे – धीरे उस स्थान को उँगलियों से हिलाएं ताकि एक जगह जमा हुआ रक्त फ़ैल जाए |

(७) गले की सूजन : इमली १० ग्राम को १ किलो जल में अध्औटा कर (आधा जलाकर) छाने और उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर रोगी को गरारे या कुल्ला करायें तो गले की सूजन में आराम मिलता है |

(८) खांसी : टी.बी. या क्षय की खांसी हो (जब कफ़ थोड़ा रक्त आता हो) तब इमली के बीजों को तवे पर सेंक, ऊपर से छिलके निकाल कर कपड़े से छानकर चूर्ण रख ले| इसे ३ ग्राम तक घृत या मधु के साथ दिन में ३-४ बार चाटने से शीघ्र ही खांसी का वेग कम होने लगता है | कफ़ सरलता से निकालने लगता है और रक्तश्राव व् पीला कफ़ गिरना भी समाप्त हो जाता है |

(९) ह्रदय में जलन : पकी इमली का रस मिश्री के साथ पिलाने से ह्रदय में जलन कम हो जाती है |

(१०) नेत्रों में गुहेरी होना : इमली के बीजों की गिरी पत्थर पर घिसें और इसे गुहेरी पर लगाने से तत्काल ठण्डक पहुँचती है |

(११) चर्मरोग : लगभग ३० ग्राम इमली (गूदे सहित) को १ गिलाश पानी में मथकर पीयें तो इससे घाव, फोड़े-फुंसी में लाभ होगा |

(१२) उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोयें और इस इमली के रस को पिलाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है |

(१३) भांग का नशा उतारने में : नशा उतारने के लिये शीतल जल में इमली को भिगोकर उसका रस निकालकर रोगी को पिलाने से उसका नशा उतर जाएगा |

(१४) खूनी बवासीर : इमली के पत्तों का रस निकालकर रोगी को सेवन कराने से रक्तार्श में लाभ होता है |

(१५) शीघ्रपतन : लगभग ५०० ग्राम इमली ४ दिन के लिए जल में भिगों दे | उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस ले | फिर ५०० ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग ५० दिनों तक लेने से लाभ होगा |

(१६) लगभग ५० ग्राम इमली, लगभग ५०० ग्राम पानी में दो घन्टे के लिए भिगोकर रख दें उसके बाद उसको मथकर मसल लें | इसे छानकर पी जाने से लू लगना, जी मिचलाना, बेचैनी, दस्त, शरीर में जलन आदि में लाभ होता है तथा शराब व् भांग का नशा उतर जाता है | हँ का जायेका ठीक होता है |

(१७) बहुमूत्र या महिलाओं का सोमरोग : इमली का गूदा ५ ग्राम रात को थोड़े जल में भिगो दे, दूसरे दिन प्रातः उसके छिलके निकालकर दूध के साथ पीसकर और छानकर रोगी को पिला दे | इससे स्त्री और पुरुष दोनों को लाभ होता है | मूत्र- धारण की शक्ति क्षीण हो गयी हो या मूत्र अधिक बनता हो या मूत्रविकार के कारण शरीर क्षीण होकर हड्डियाँ निकल आयी हो तो इसके प्रयोग से लाभ होगा |

(१८) अण्डकोशों में जल भरना : लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |

(१९) पीलिया या पांडु रोग : इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म १० ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पान्डु रोग ठीक हो जाता है |

(२०) आग से जल जाने पर : इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म गाय के घी में मिलाकर लगाने से, जलने से पड़े छाले व् घाव ठीक हो जाते है |

(२१) पित्तज ज्वर : इमली २० ग्राम १०० ग्राम पाने में रात भर के लिए भिगो दे | उसके निथरे हुए जल को छानकर उसमे थोड़ा बूरा मिला दे | ४-५ ग्राम इसबगोल की फंकी लेकर ऊपर से इस जल को पीने से लाभ होता है |

(२२) सर्प , बिच्छू आदि का विष : इमली के बीजों को पत्थर पर थोड़े जल के साथ घिसकर रख ले | दंशित स्थान पर चाकू आदि से छत करके १ या २ बीज चिपका दे | वे चिपककर विष चूसने लगेंगे और जब गिर पड़े तो दूसरा बीज चिपका दें | विष रहने तक बीज बदलते रहे |

Friday 2 August 2013

स्वदेशी सेब खाएं; देश और सेहत दोनों बचाएं . . .



स्वदेशी सेब खाएं; देश और सेहत दोनों बचाएं ----
आम के जाते ही अब सेब ने बाज़ार पर अपना रंग ज़माना शुरू किया है. ये ताज़े , मौसमी और देशी सेब रोजाना खाए और स्वस्थ रहे.सेब पित्त और वात को शांत करता है; प्यास मिटाता है और आँतों को मज़बूत करता है.इसमें मौजूद टार्टारिक एसिड के कारण यह सिर्फ एक घंटे में ही पच जाता है और साथ खाए हुए अन्न को भी पचा देता है.
- भोजन के साथ सेब खाने से शराब की लत छोड़ने में मदद मिलती है.
- खट्टे सेब का रस मस्सों पर लगाने से वे गिर जाते है.
- सेब को पीसकर त्वचा पर लगाने से चर्म रोगों में लाभ होता है.
- 2 सेब के छोटे छोटे टुकड़ों को काटकर उस पर उबलता हुआ आधा ली. पानी डाले. ठंडा होने पर छानकर पिए. स्वाद के लिए उसमे मिश्री डाली जा सकती है. सेब का यह पौष्टिक शरबत तुरंत खून में मिलकर ह्रदय , मस्तिष्क , लीवर और शरीर के हर कोष को शक्ति और स्फूर्ति देता है.
- सेब के छोटे टुकड़े काटकर कांच या चीनी मिटटी के बर्तन में चाँद की रौशनी में रख कर सुबह शाम एक महीने तक सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है.
- ये एनिमिया जैसी बीमारी का इलाज भी करता है क्योंकी सेब में आयरन बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है। दिन में 2 से 3 सेब की मात्रा पूरे दिन की आयरन की कमी को पूरा करती है।
- सेब में मौजूद क्वरसिटिन शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुचने से बचाता है। इससे कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
- सेब में पाए जाने वाला पेक्टिन जो की ग्लाक्ट्रोनिक एसिड की कमी शरीर में पूरी करता है और इन्सुलिन के उपयोग को कम करता है।
- सेब में बहुत अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो की पाचन में मदद करता है। और अगर सेब को उसके छिलके के साथ खाया जाये तो इससे कब्ज़ भी ठीक हो जाता है।आजकल मिलने वाले ताज़े सेब पर कोई पॉलिश वगैरह भी नहीं होता।
- सेब में घुलन शील फाइबर पाया जाता है जो कोलेस्ट्रोल को कम करता है। हाय ब्लड प्रेशर को कम करता है.
- इसका उच्च स्तर का फाइबर वजन कम करने में मदद करता है।
- लाल सेब में क्वरसिटिन नामक एंटीओक्सिडेंट पाया जाता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
- हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में थोड़ा-बहुत ज़हरीला खाना खाते है। जिससे हमारा लीवर शरीर से साफ करता है और लीवर को मजबूत रखने के लिए रोज़ एक सेब खाए क्योंकी इसमें एंटीओक्सिडेंट पाए जाते है।
- दोनों ही समस्याएँ कब्ज़ या दस्त जो छोटे बच्चो में हो जाती है उससे बचाता है।
- सेब में फाइबर होता है जिसे दांत अच्छे रहते है। इसमें एंटीवायरल गुण होते है जो बैक्टीरिया और वायरस को दूर रखते है। यह मुंह में थूक की मात्रा को को भी बढ़ाता है।
- सेब गुर्दे की पथरी को बनने से रोकने में मदद करता है चूंकि इसमें साइडर सिरका अच्छी मात्रा में होता है।
- सेब मस्तिष्क की बिमारियों जैसे कि अल्जाइमर की रोकथाम करने में भी उपयोगी है क्योंकि यह मुक्त रेडिकल डेमेज से मस्तिष्क कोशिकाओं की रक्षा करता है जो अल्जाइमर का कारण बनती है।
- सेब उर्जा का एक बहुत अच्छा स्रोत है चूंकि यह फेफड़ो के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति में मदद करता है। इसलिए, व्यायाम करने से पहले कुछ सेब खाने की सलाह दी जाती है। यह क्षमता को बढ़ाता है और उर्जा के स्तर में भी वृद्धि करता है।
- सेब में फ्लावनोईड पाया जाता है जो की औरतों को ओस्टीओपोरोसिस से बचाता है क्यों की यह हड्डियों का घनत्व बढाता है।