ब्रह्म क़ी अनुभूति देने वाली औषधि है ब्राह्मी !
क्या आप जानना चाहेंगे क़ि किसी दिव्य औषधि के पाए जानेवाले क्षेत्र को दिव्य साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है? ब्रह्म साधना में किसी औषधि को उपयुक्त माना गया है ? हम बताते हैं आपको इस दिव्य औषधिका नाम ...."ब्राह्मी" ...जैसा नाम वैसे काम I कहा जाता है, क़ि .इसके दर्शन मात्र से ब्रह्म का आभास होता है I सम्पूर्ण भारतवर्ष में छ हजार फीट क़ी उंचाई तक पायी जानेवाली इस भूप्रसारीय लता क़ी पत्तियाँ मंडूक (मेंढक ) के समान गोल एवं एक साथ २-३ लगी होती हैं I सामान्यतया यह गीली और नमीयुक्त भूमि पर उगती है I पत्तियों पर छोटे -छोटे चिन्ह पाए जाते हैं ,इसके फूल बसंत से ग्रीष्म तक श्वेत या नीले रंग क़ी आभा लिए होते हैं I पौधे में हायड्रोकोटिलिन नामक क्षाराभ तथा एशियाटिकोसाइड नामक ग्लाईकोसाईड पाया जाता है I ये तो रही इसकी पहचान क़ी बात ..अब आप जानें इस दिव्य औषधि का प्रयोग :-
-ब्राह्मी और बादाम क़ी गीरी को एक भाग ,काली मिर्च को चार भाग ...पानी में घोटकर छोटी छोटी गोली बनाकर एक-एक गोली नियमित दूध के साथ सेवन करने पर मष्तिष्क क़ी स्फूर्ति बनी रहती है I
- ब्राह्मी २.५ ग्राम .शंखपुष्पी -२.५ग्राम ,बादाम क़ी गिरी पांच ग्राम,छोटी इलायची का पाउडर -२.५ ग्राम इन सब को पानी में अच्छी तरह घोलकर छान लें और मिश्री मिलाकर सुबह शाम आधा से एक गिलास पीयें ...इससे खांसी,बुखार में लाभ तो मिलता ही है साथ ही स्मरण शक्ति भी तीव्र होती है I
- ब्राह्मी को अवपीड़ कर ताजा रस निकालकर बराबर मात्रा में घी से सिद्धित घी को २.५ से ५ ग्राम क़ी मात्रा में नियमित सेवन करने से मेधा शक्ति बढ़ती है ..विद्यार्थियों के लिए यह योग अत्यंत उपयोगी है ...I
-यदि आपको नींद न आने क़ी समस्या है तो आप ब्राह्मी का ताजा रस निकाल लें और इसे आधा लीटर गाय के कच्चे दूध में मिला लें और सात दिनों तक नियमित सेवन करें देखें आप तनावमुक्त होकर अच्छी नींद लेने लग जायेंगे ..I
- ब्राह्मी स्वरस पांच ग्राम को २.५ ग्राम कूठ के पाउडर एवं शहद पांच ग्राम के साथ सात दिनों तक सेवन कराने से पागलपन में भी लाभ मिलता है ..I
-ब्राह्मी क़ी ताज़ी पत्तियों का रस,बालवचा,शंखपुष्पी एवं कूठ के साथ सम मात्रा में मिलाकर इसे पुराने गौ घृत के साथ लगातार विधिअनुसार देने से भी मानसिक रोगों में लाभ मिलता है I
-यदि आपको बालों से सम्बंधित कोई समस्या है ..जैसे बाल झड रहे हों तो परेशान न हों बस ब्राह्मी के पंचांग का चूर्ण लेकर एक चम्मच क़ी मात्रा में लें और लाभ देखें ...I
-जिनकी रूचि गायन और वादन में हो और अपनी आवाज क़ी मधुरता को बरकरार रखना चाहते हों तो बस ब्राह्मी सौ ग्राम क़ी मात्रा में शंखपुष्पी क़ी पचास ग्राम क़ी मात्रा के साथ चार गुने पानी मिलाकर इसका अर्क निकाल लें और नियमित प्रयोग करें ..बस ध्यान रहे क़ी खट्टी चीजें न ली जाय ..I
-यदि पेशाब में तकलीफ हो या पेशाब रूक रहा हो तो बस ब्राह्मी का दो चम्मच स्वरस में मिश्री मिलाकर दें ..इससे पेशाब खुल कर आयेगा ...और इसी के साथ धनिया मिलाकर रात भर भिंगोकर छोड़कर सुबह-सुबह सेवन करने से पेशाब क़ी जलन में आराम मिलेगा !
-यदि उच्चरक्तचाप का कोई विशेष कारण न हो तो ब्राह्मी क़ी ताज़ी पत्तियों का स्वरस ...२.५ ग्राम शहद से सेवन करें इससे भी रक्तचाप नियंत्रित रहेगा ..!
ये तो रहे इसके कुछ सामन्य नुस्खे यानी अनुभूत प्रयोग परन्तु इसके अलावा ब्राह्मी एक रसायन ,बल्य,वयःस्थापन ,व्रण शोधक एवं रोपक औषधि के रूप में काम करती है ..!