Wednesday 27 February 2013

ब्रह्म क़ी अनुभूति देने वाली औषधि है ब्राह्मी !



ब्रह्म क़ी अनुभूति देने वाली औषधि है ब्राह्मी !

क्या आप जानना चाहेंगे क़ि किसी दिव्य औषधि के पाए जानेवाले क्षेत्र को दिव्य साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है? ब्रह्म साधना में किसी औषधि को उपयुक्त माना गया है ? हम बताते हैं आपको इस दिव्य औषधिका नाम ...."ब्राह्मी" ...जैसा नाम वैसे काम I कहा जाता है, क़ि .इसके दर्शन मात्र से ब्रह्म का आभास होता है I सम्पूर्ण भारतवर्ष में छ हजार फीट क़ी उंचाई तक पायी जानेवाली इस भूप्रसारीय लता क़ी पत्तियाँ मंडूक (मेंढक ) के समान गोल एवं एक साथ २-३ लगी होती हैं I सामान्यतया यह गीली और नमीयुक्त भूमि पर उगती है I पत्तियों पर छोटे -छोटे चिन्ह पाए जाते हैं ,इसके फूल बसंत से ग्रीष्म तक श्वेत या नीले रंग क़ी आभा लिए होते हैं I पौधे में हायड्रोकोटिलिन नामक क्षाराभ तथा एशियाटिकोसाइड नामक ग्लाईकोसाईड पाया जाता है I ये तो रही इसकी पहचान क़ी बात ..अब आप जानें इस दिव्य औषधि का प्रयोग :-
-ब्राह्मी और बादाम क़ी गीरी को एक भाग ,काली मिर्च को चार भाग ...पानी में घोटकर छोटी छोटी गोली बनाकर एक-एक गोली नियमित दूध के साथ सेवन करने पर मष्तिष्क क़ी स्फूर्ति बनी रहती है I
- ब्राह्मी २.५ ग्राम .शंखपुष्पी -२.५ग्राम ,बादाम क़ी गिरी पांच ग्राम,छोटी इलायची का पाउडर -२.५ ग्राम इन सब को पानी में अच्छी तरह घोलकर छान लें और मिश्री मिलाकर सुबह शाम आधा से एक गिलास पीयें ...इससे खांसी,बुखार में लाभ तो मिलता ही है साथ ही स्मरण शक्ति भी तीव्र होती है I
- ब्राह्मी को अवपीड़ कर ताजा रस निकालकर बराबर मात्रा में घी से सिद्धित घी को २.५ से ५ ग्राम क़ी मात्रा में नियमित सेवन करने से मेधा शक्ति बढ़ती है ..विद्यार्थियों के लिए यह योग अत्यंत उपयोगी है ...I
-यदि आपको नींद न आने क़ी समस्या है तो आप ब्राह्मी का ताजा रस निकाल लें और इसे आधा लीटर गाय के कच्चे दूध में मिला लें और सात दिनों तक नियमित सेवन करें देखें आप तनावमुक्त होकर अच्छी नींद लेने लग जायेंगे ..I
- ब्राह्मी स्वरस पांच ग्राम को २.५ ग्राम कूठ के पाउडर एवं शहद पांच ग्राम के साथ सात दिनों तक सेवन कराने से पागलपन में भी लाभ मिलता है ..I
-ब्राह्मी क़ी ताज़ी पत्तियों का रस,बालवचा,शंखपुष्पी एवं कूठ के साथ सम मात्रा में मिलाकर इसे पुराने गौ घृत के साथ लगातार विधिअनुसार देने से भी मानसिक रोगों में लाभ मिलता है I
-यदि आपको बालों से सम्बंधित कोई समस्या है ..जैसे बाल झड रहे हों तो परेशान न हों बस ब्राह्मी के पंचांग का चूर्ण लेकर एक चम्मच क़ी मात्रा में लें और लाभ देखें ...I
-जिनकी रूचि गायन और वादन में हो और अपनी आवाज क़ी मधुरता को बरकरार रखना चाहते हों तो बस ब्राह्मी सौ ग्राम क़ी मात्रा में शंखपुष्पी क़ी पचास ग्राम क़ी मात्रा के साथ चार गुने पानी मिलाकर इसका अर्क निकाल लें और नियमित प्रयोग करें ..बस ध्यान रहे क़ी खट्टी चीजें न ली जाय ..I
-यदि पेशाब में तकलीफ हो या पेशाब रूक रहा हो तो बस ब्राह्मी का दो चम्मच स्वरस में मिश्री मिलाकर दें ..इससे पेशाब खुल कर आयेगा ...और इसी के साथ धनिया मिलाकर रात भर भिंगोकर छोड़कर सुबह-सुबह सेवन करने से पेशाब क़ी जलन में आराम मिलेगा !
-यदि उच्चरक्तचाप का कोई विशेष कारण न हो तो ब्राह्मी क़ी ताज़ी पत्तियों का स्वरस ...२.५ ग्राम शहद से सेवन करें इससे भी रक्तचाप नियंत्रित रहेगा ..!
ये तो रहे इसके कुछ सामन्य नुस्खे यानी अनुभूत प्रयोग परन्तु इसके अलावा ब्राह्मी एक रसायन ,बल्य,वयःस्थापन ,व्रण शोधक एवं रोपक औषधि के रूप में काम करती है ..!

Tuesday 26 February 2013

त्राटक





एकाग्रता बढ़ाने की यह प्राचीन पद्धति है। पतंजलि ने 5000 वर्ष पूर्व इस पद्धति का विकास किया था। योगी और संत इसका अभ्यास परा-मनोवैज्ञानिक शक्ति के विकास के लिये भी करते हैं।
आधुनिक वैज्ञानिक शोधों ने भी यह सिद्ध कर दिया है। इससे आत्मविश्वास पैदा होता है, योग्यता बढ़ती है, और आपके मस्तिष्क की शक्ति का विकास कई प्रकार से होता है। यह विधि आपकी स्मरण-शक्ति को तीक्ष्ण बनाती है । प्राचीन ऋषियोंद्वारा प्रयोग की गई यह बहुत ही उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण पद्धति है।

समय- अच्छा यह है कि इसका अभ्यास सूर्योदय के समय किया जाए। किन्तु यदि अन्य समय में भी इसका अभ्यास करें तो कोई हानि नहीं है।

स्थान- किसी शान्त स्थान में बैठकर अभ्यास करें। जिससे कोई अन्य व्यक्ति आपको बाधा न पहुँचाए।

प्रथम चरण- स्क्रीन पर बने पीले बिंदु को आरामपूर्वक देखें।

द्वितीय चरण - जब भी आप बिन्दु को देखें, हमेशा सोचिये – “मेरे विचार पीत बिन्दु के पीछे जा रहे हैं”। बिना पलकें झपकाए एक टक देखते रहे।इस अभ्यास के मध्य आँखों में पानी आ सकता है, चिन्ता न करें। आँखों को बन्द करें, अभ्यास स्थगित कर दें। यदि पुनः अभ्यास करना चाहें, तो आँखों को धीरे-से खोलें। आप इसे कुछ मिनट के लिये और दोहरा सकते हैं।

अन्त में, आँखों पर ठंडे पानी के छीटे मारकर इन्हें धो लें। एक बात का ध्यान रखें, आपका पेट खाली भी न हो और अधिक भरा भी न हो।

यदि आप चश्में का उपयोग करते हैं तो अभ्यास के समय चश्मा न लगाएँ। यदि आप पीत बिन्दु को नहीं देख पाते हैं तो अपनी आँखें बन्द करें एवं भौंहों के मध्य में चित्त एकाग्र करें । इसे अन्तःत्राटक कहते है । कम-से-कम तीन सप्ताह तक इसका अभ्यास करें। परन्तु, यदि आप इससे अधिक लाभ पाना चाहते हैं तो निरन्तर अपनी सुविधानुसार करते रहें।

त्राटक के लिए ॐ या अन्य चित्र का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
त्राटक के लिए दीपक की लौ को भी देखा जा सकता है। जब आँखें थक जाए तो आँखें बंद कर आज्ञा चक्र में दीपक के लौ की कल्पना करे।
उगते हुए या अस्त होते हुए सूर्य का त्राटक चर्म रोगों और कई अन्य रोगों से छुटकारा दिलाता है।
जिनकी नजर कमजोर है या जिनके चश्मे का नंबर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। उन्हें अपनी आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए योग में त्राटक की सलाह दी जाती है, जिन्हें हाई पावर का चश्मा लगा हो, उन्हें यहसप्ताह में तीन बार जरूर करना चाहिए। जिनकी नजर कमजोर नहीं है और चाहते हैं कि उनकी नजरें कमजोर न हो। उन्हें यह हफ्ते में एक बार आवश्यक रूप से करना चाहिए।


Saturday 23 February 2013

सावधान आप तेल नहीं जहर खा रहे है




भारत के लोगो का तेल का कारोबार छीनने वाली कंपनियो ने विज्ञापन और प्रलोभन देकर हीरो हीरोइन और खिलाड़ियो के द्वारा आपको जिन कंपनियो के तेल की और आकर्षित किया है असल मे वो जहर है ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि ये बात खुद सरकारी जांच एजेंसियो ने मानी है
आप जो खाने का तेल इस्तेमाल करते हैं वो आपकी सेहत के लिए खतरनाक है” - यह कहना है कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) का।


सीएसई की यह रिपोर्ट वनस्पति, वेजिटेबिल ऑयल, देशी घी और मक्खन के 30 ब्रांड पर किए गए परीक्षण पर आधारित है। सीएसई का कहना है कि सरकार की ओर से कोई मानक तय नहीं होने की वजह से कम्पनियां इसका फायदा उठा रही हैं।


खाने के तेल पर सीएसई के यह परीक्षण में वनस्पति के सात, वेजिटेबल ऑयल के 21, देशी घी के एक और मक्खन के एक ब्रांड पर किए गए। नतीजे बताते हैं कि अडानी विल्मर के उत्पाद राग में सबसे ज्यादा 23.31 प्रतिशत ‘ट्रांस फैट’ पाया गया जबकि मवाना शुगर्स के उत्पाद ‘पनघट’ में 23.7 फीसदी और एग्रोटेक फूड्स के उत्पाद रथ में 15.9 प्रतिशत ‘ट्रांस फैट’ है।


किसमें कितना फैट?


राग (अडानी विल्मर) 23.31 फीसदी, पनघट (मवाना शुगर्स) 23.7 फीसदी, रथ (एग्रोटेक फूड्स) 15.9 फीसदी।


सीएसई का कहना है कि ट्रांस फैट की मात्रा आपको दिल का मरीज बनाती है। आपके खाने में एक दिन में पांच ग्राम ट्रांस फैट की मात्रा बढ़ने से दिल की बीमारी का खतरा 25 फीसदी बढ़ जाता है। सीएसई के मुताबिक, भारत में ‘ट्रांस फैट’ की मात्रा बताने के लिए इसे उत्पाद के आवरण पर दर्शाने (लेबलिंग) का नियम है। लेकिन रथ ने अपने पैक में इसकी मात्रा 8 से 33 फीसदी और डालडा ने 15 से 55 फीसई बताई है।


सीएसई का कहना है कि सरकार ने अभी तक भारत में इसके लिए कोई मानक ही नहीं बनाया है।


सीएसई के इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदॉस भी मान रहे हैं कि ये वाकई बड़ा खतरा है। साल 2006 में स्वास्थ्य मंत्रालय की समिति ने इंडस्ट्री से इस बारे में ब्योरा मांगा था लेकिन आज तक यह जानकारी उसे नहीं मिल सकी है। इससे साफ है कि सरकार इस मुद्दे पर कतई गम्भीर नहीं है।
भारत मे विदेशी कंपनिया और देश के बड़े उघोगपति घराने पैसा कमाने की चाह मे भारत वासियो के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे है ये बात कह रही है खुद भारत की सरकारी जांच एजेंसी "center of science and environment" सी एस ई " -------------------

दुनिया के लगभग हर देश मे ट्रांस्फेट मिला हुआ तेल ,घी या कोई भी पदार्थ नहीं बेचा जा सकता है डेन्मार्क जैसे देश ने ट्रांस्फेट के लिए मानक तय किए हुए है ! लेकिन भारत जैसे बुद्धिजीवियो और पर्यावरण विदो ,इंजीनियरो और डाक्टरों के देश मे ट्रांस्फेट की मात्रा 35% तक क्यूँ है । भारत के लोगो को क्या ट्रांस्फेट जैसे जहर की आवश्यकता है या फिर भारत वासियो को अपने जीवन से प्यार नहीं है क्योकि इसे खाने के बाद तो केन्सर हो जाना एल्झाइमर हो जाना ,हार्ट अटेक आ जाना मामूली बात है ।
फिर भारत मे ट्रांस्फेट क्यूँ जब अमेरिका मे इस ट्रांस्फेट पर पाबंदी है तो भारत मे क्यूँ नहीं ?
इसका जवाब है भारत की सरकार न लचीलापन और विदेशी कंपनियो का दबाव ...........................
इसलिए भारतवासियों आप से विनम्र निवेदन है की सरकार को छोड़िए अब "शहीद राजीव दीक्षित जैविक संस्थान " के साथ मिल कर आप और हम देश और समाज की रक्षा कर सकते है और गरीब भारत वासियो को रोजगार भी दे सकते है

Friday 22 February 2013

अगर आप बैंगन नहीं खाते तो ये पढ़िए.. आपके THOUGHTS बदल जाएंगे





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अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक है और बैंगन की सब्जी नहीं खाते हैं तो आज हम आपको अवगत करवाते हैं बैंगन के ऐसे गुणों से जिन्हें जानने के बाद आपकी गलतफहमी दूर हो जाएगी। वैसे बैंगन के रंग का प्रभाव भी उसके गुणों पर पड़ता है। विटामिन 'सी' की उपस्थिति बैंगन के छिलके के रंग पर निर्भर करती है। गहरे रंग के छिलके वाले बैंगन में अधिक विटामिन 'सी' रहता है जबकि हल्के रंग के छिलके वाले बैंगन में विटामिन 'सी'की मात्रा कम रहती है। वसा, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स ये तीनों ही पोषक तत्व बैंगन में कम पाए जाते हैं।

100 ग्राम बैंगन में नीचे लिखे पोषक तत्व पाए जाते हैं प्रोटीन - 1.4 ग्राम वसा- 0.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स -4.0ग्राम कैल्शियम - 18 ग्राम फस्फोरस - 47 (मि. ग्राम) लौह तत्व - 0.38(मि.ग्राम) विटामिन सी - 12(मि.ग्राम) पोटेशियम - 20(मि.ग्राम) -मैग्नीशियम - 16(मि.ग्राम)।

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है- बैंगन के सेवन से रक्त में बैंगन के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर गिरता है। इस तरह के प्रभाव का प्रमुख कारण है। बैंगन में पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता। बैंगन की पत्तियों के रस का सेवन करने से भी रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम किया जा सकता है।इससे रक्त संचार सही रहता है।

रूखी त्वचा के लिए बैंगन- बैंगन स्किन को मॉइश्चर प्रदान करता है। इसीलिए अगर आपकी स्किन ड्राय या बाल ड्राय हो तो बैंगन जरूर खाएं। उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये यही कारण है कि बैंगन उपयोगी माना जाता है।इसी कारण यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और बैंगन का सेवन करने वालों को दिल की बीमारियों से बचाता है।

दांत के दर्द में- बैंगन का रस दांत के दर्द में लाभदायक प्रभाव दिखलाता है। बैंगन की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं। अस्थमा के उपचार के लिये बैंगन की जड़ें प्रयुक्त की जाती हैं।बैंगन में फाइबर अधिक मात्रा में पाए जाते हैं इसीलिए इसे सेवन करने वालों को कब्ज नहीं होती है।

सब्जियां कैसे धोये ?




सब्जियां कैसे धोये ?
- आज कल सब्जियां उगाने की जगह और तरीका ऐसा होता है की सिर्फ्र उसकी मात्रा पर ध्यान जाता है। फिर वे नाले के पानी से सिंची जाए या उस पर ज़हर छिडका जाए इसकी कोई परवाह नहीं करता। ऑर्गेनिक सब्जियां महँगी होती है की आम आदमी उसे खरीद नहीं सकता।
- देश के कृषि मंत्री ने भी इस बात को माना है कि भारत में 67 ऐसे पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल हो रहा है , जो दूसरे देशों में प्रतिबंधित हैं। लेकिन कई सब्जियां ऐसी हैं जिनमें इस जहर से डरने की जरूरत नहीं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि घिया , तोरई , सीताफल , गाजर , शलगम जैसी कई सब्जियां ऐसी हैं , जिनमें पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है।
- सब्जी का सिर्फ रूप - रंग ना देखे। जिस सब्जी में अच्छी खुशबु है और स्वाद अच्छा है , वही ख़रीदे।अलग अलग सब्जी वाले से खरीद कर देखे और फिर एक को चुने और उसी से लेते रहे।
- अगर गोभी का फूल एकदम सफेद और चमकदार न होकर थोड़ा पीला है तो उसे ही लें।गोभी के फूल में चमक लाने के लिए उसे मेलोथियन में डुबोया जाता है। इसी तरह भिंडी डार्क हरी नहीं हैं तो उसे खरीदें।
- चमकदार फल और सब्जियों के इस्तेमाल से बचें , जैसे टमाटर , बैंगन , भिंडी , सेब।
- कई बार बेबी कॉर्न या बीट रूट में दवाई की महक आती है , ऐसी सब्जी ना ख़रीदे।
- हरी सब्जी को बिन कर पानी में डुबाकर रखे। थोड़ी देर में उसकी मिटटी नीचे बैठ जायेगी। ऊपर ऊपर से सब्जी निकाल ले। ऐसा 3-4 बार जब तक नीचे मिटटी बैठ तब तक धोये।हरी सब्जी की मिटटी रह जाए तो पेट के कीड़ों को जन्म देती है जो कई बार ब्रेन में जमा हो जाते है और मिर्गी जैसी बिमारी को जन्म देते है।
- गाजर , मूली, आलू आदि को पहले धो कर मिटटी निकाल ले। फिर मोटा छिलका निकाल ले और फिर से पानी से धो ले। अब काटे।
- प्याज , लहसून आदि भी धो कर काटे। इससे उनका छिलका भी आसानी से उतरता है।
- हरी मिर्च को धो कर , डंडी निकाल कर रख ले। कभी भी तुरंत इस्तेमाल कर सकते है।
- हरा धनिया हमेशा देशी ही इस्तेमाल करे। जिस धनिये में दूर से ही खुशबु आ रही है , वही अच्छा है।इसे भी बिन कर कई बार पानी से निकाल ले और एक पेपर पर फैला कर सुखा ले। अब ये कभी इस्तेमाल के लिए तैयार है।
- पुदीना भी इसी तरह तैयार कर ले। ये छाया में सुखाकर रख ले।इसका चुरा बना कर कभी भी भेल पूरी या जलजीरा या पानी पूरी के पानी में डाला जा सकता है।
- इसी तरह कढी पत्ते को भी धो कर सुखा के रख ले।
- हरी सब्जी को धोने के बाद एक बड़े सूती दुपट्टे में रखे। पोटली बना कर गोल घुमाए। सारा पानी निकल जाएगा।अब यह सड़ेगा नहीं।
- बर्तन धोने वाले डिटर्जेंट की कुछ बूंदे एक लीटर पानी में मिलाएं और उसमें फल व सब्जी धोने के बाद उन्हें हल्के गुनगुने पानी में धोएं। इससे उन पर लगा वैक्स और कलर हट जाएगा।
- आज कल मिलने वाले ओजोन वाश भी इस्तेमाल जा सकते है।
- नमक मिले पानी से भी सब्जियों को धोया जा सकता है और कीटाणु मुक्त बनाया जा सकता है।
- बंदगोभी और ऐसी ही दूसरी पत्तेदार सब्जियों के ऊपरी हिस्से के पत्ते जरूर उतार दें।
- फूल गोभी को काटकर नमक और हल्दी के पानी में धो ले।
- सीजनल चीजें खाने से भी नुकसान कम होता है , क्योंकि उनमें पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है।
- आजकल अधिकतर अधिकतर स्वीट कॉर्न जेनेटिकली मोडिफाईड होता है। यह पोषण ना दे कर खतरनाक बीमारियाँ देता है। इसलिए देशी कॉर्न का ही इस्तेमाल करे।


Thursday 21 February 2013

मकोय (रसभरी)




मकोय (रसभरी)
- आजकल मकोय के फलों का मौसम चल रहा है।मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं ।ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी।इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं ।
- मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है।
- शहद मकोय के गुणों को सुरक्षित रख कर दोषों को दूर करता है।
- यह वात , पित्त और कफ नाशक होता है।
- यह सूजन और दर्द को दूर करता है।
- शुगर की बीमारी हो या फिर कमजोरी हो तो मकोय के सूखे बीजों का पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए . इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .
- बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।
- लीवर ठीक नहीं है , पेट खराब है , आँतों में infection है , spleen बढ़ी हुई है या फिर पेट में पानी भर गया है ; सभी का इलाज है मकोय की सब्जी . रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।
- पीलिया होने पर इसके पत्तों का रस 2-4 चम्मच पानी मिलाकर ले लें ।
- अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।
- त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ भी इसके नित्य प्रयोग से ठीक होती हैं ।
- यह सर्दी -खांसी , श्वास के रोग , हिचकी आदि को ठीक करता है।

Tuesday 19 February 2013

पथरी का सबसे बढि़या आयुर्वेदिक इलाज





किसी कारण पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click कर देखे !
http://www.youtube.com/watch?v=pWfljrsaBGM
सबसे पहले कुछ परहेज !

मित्रो जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )
क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|

आयुर्वेदिक इलाज !
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पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!

होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये|

(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )

अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |

इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|

99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महिने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |

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ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???

इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|