Sunday 21 October 2012

डेंगू बुखार का इलाज !

कमड़ तोड़ती मंहगाई के समय मे आम आदमी का कुछ तो पैसा बचाये ! जरूर शेयर करे !
_________________________________________________
डेंगू बुखार का इलाज !
________________
गिलोय बेल की डंडी ले ! डंडी के छोटे टुकड़े करे ! 
2 गिलास पानी मे उबाले ! जब पानी आधा रह जाये !
ठंडा होने पर रोगी को पिलाये ! 
मात्र 45 मिनट बाद cell बढ़ने शुरू हो जाएँगे !! 
इससे अच्छा और सस्ता कोई इलाज नहीं डेंगू बुखार का ! 

more info about your health !
must click here ! 
https://www.youtube.com/watch?v=qAF4sj0uiUs

वन्देमातरम ! —

Thursday 18 October 2012

किशमिश


किशमिश
 


32 किशमिश खाने से छू मंतर हो जाएगा ब्लड प्रेशर=
आपको अक्सर चक्कर आते हैं, कमजोरी महसूस होती है तो हो सकता है कि आप लो ब्लड प्रेशर के शिकार हों। ज्यादा मानसिक तनाव, कभी क्षमता से ज्यादा शारीरिक काम करने से अक्सर लोगों में लो ब्लडप्रेशर की शि
कायत होने लगती है।
कुछ लोग इसे नजरअन्दाज कर देते हैं तो कुछ लोग डॉक्टर के यहां चक्कर लगाकर परेशान हो जातें हैं। लेकिन आयुर्वेद में लो ब्ल्डप्रेशर को कन्ट्रोल करने के लिए कारगर इलाज है वो है किशमिश। नीचे बताई जा रही विधि को लगातार 32 दिनों तक प्रयोग में लाने से आपको कभी भी लो ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होगी।
-32 किशमिश लेकर एक चीनी के बाउल में पानी में डालकर रात भर भिगोएं। सुबह उठकर भूखे पेट एक-एक किशमिश को खूब चबा-चबा कर खाएं,पूरे फायदे के लिए हर किशमिश को बत्तीस बार चबाकर खाएं। इस प्रयोग को नियमित बत्तीस दिन करने से लो ब्लडप्रेशर की शिकायत कभी नहीं होगी।
विशेष-जिसको लो बी पी की शिकायत हो और अक्सर चक्कर आते हों तो आवलें के रस में शहद मिलाकर चाटने से जल्दी आराम होता है।
-लो बी पी के समय व्यक्ति को ज्यादा बोलना नहीं चाहिए। चुपचाप बायीं करवट लेट जाना चाहिए थोड़ी देर में नीदं आ जाएगी और लो बी पी में फायदा होगा।


Tuesday 16 October 2012

एलोवेरा एक संजीवनी.....


 


एलोवेरा एक संजीवनी......

औषधी की दुनिया में एलोवेरा किसी चमत्कार से कम नहीं। एलोवेरा से तमाम रोग दूर किए जा सकते हैं। एलोवेरा औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। एलोवेरा के जूस और एलोवेरा युक्त उत्पाद के सेवन और इस्तेमाल से फिट रहा जा सकता है। एलोवेरा एक संजीवनी है यानी इसमें संजीवनी बूटी के सभी गुण मौजूद हैं। आइए जानें आखिर एलोवेरा है क्या।

एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जिसमें अन्य सभी जड़ी-बूटियों के मुकाबले
 अधिक गुण है। यानी व्यक्ति को फिट रखने में एलोवेरा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं।
एलोवेरा के पौधे को कई नाम हैं, जैसे संजीवनी बूटी, साइलेंट हीलर, चमत्कारी औषधि । इसे कई अन्यो नामों ग्वारपाठा, क्वारगंदल, घृतकुमारी, कुमारी, घी-ग्वार इत्यादि से पुकारा जाता है।
एलोवेरा का उपयोग अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि बनाने में किया जाता है।
एलोवेरा के पौधे में वो सारे गुण समाहित है जिसे संजीवनी बूटी कह सकते है।
कब्ज़ से लेकर कैंसर तक के मरीजों के लिए एक अत्यंत लाभकारी औषधि है।
एलोवेरा में वो औष‍धीय तत्व हैं जो शरीर में नहीं बनते बल्कि एलोवेरा से ही प्राप्त होते हैं जैसे– कुछ खनिज, अमीनोएसिड। इन तत्वों को निरंतर शरीर की जरूरत रहती है जिसे पूरी करना भी जरूरी है।
एलोवेरा बढि़या एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है।
एलोवेरा में शरीर की अंदरूनी सफाई करने और शरीर को रोगाणु रहित रखने के गुण भी मौजूद है।
एलोवेरा हमारे शरीर की छोटी बड़ी नस,ना़डि़यों की सफाई करता है उनमें नवीन शक्ति तथा स्फूर्ति भरता है।
एलोवेरा औषि‍ध हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है और यह शरीर में जाकर खराब सिस्टम को ठीक करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
यह बैक्टीरिया नाशक है साथ ही मेटाबॉलिक प्रक्रिया को ठीक करता है।
शरीर में मौजूद हृदय विकार, जोड़ों के दर्द, मधुमेह, यूरीनरी प्रॉब्ल्म्स, शरीर में जमा विषैले पदार्थ इत्यादि को नष्ट करने में मददगार है।
त्वचा की देखभाल और बालों की मजबूती व बालों की समस्या से निजात पाने के लिए एलोवेरा एक संजीवनी का काम करती है।
बच्चे से लेकर वरिष्ठ लोगों तक सभी के लिए एलोवेरा किफायती है। इसके प्रयोग से बीमारियों से मुक्त रहकर लंबी उम्र तक स्वस्थ और फिट रहा जा सकता है।

Wednesday 10 October 2012

स्वास्थ्यवर्धक खजूर

‎____स्वास्थ्यवर्धक खजूर___
* खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देने वाला है। यह रक्त मांस व वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है।
** कब्जनाशकः खजूर में रेचक गुण भरपूर हैं। 8-10 खजूर 200
ग्राम पानी में भिगो दें, सुबह मसलकर इनका शरबत बना लें। फिर इसमें 300 ग्राम पानी और डालकर गुनगुना गर्म करें। खाली पेट चाय की तरह पी जायें। कुछ देर बाद दस्त होगा। इससे आँतों को बल और शरीर को स्फूर्ति भी मिलेगी। उम्र के अनुसार खजूर की मात्रा कम-ज्यादा करें।
** शैयामूत्रः जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें।
** बच्चों के दस्त में- बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें बार-बार हरे दस्त होते हों या पेचिश पड़ती हो तो खजूर के साथ शहद को अच्छी तरह फेंटकर एक-एक चम्मच दिन में 2-3 बार चटाने से लाभ होता है।
** तन-मन की पुष्टिः बच्चों को दूध में खजूर उबाल के देने से उन्हें शारीरि-मानसिक पोषण मिलता है व शरीर सुदृढ़ बनता है।

** नशा-निवारकः शराबी प्रायः नशे की झोंक में इतनी शराब पी जाता है कि उसका यकृत नष्ट होकर मृत्यु का कारण बन सकता है। इस स्थिति में ताजे पानी में खजूर को अच्छी तरह मसलते हुए शरबत बनायें। यह शरबत पीने से शराब कै विषैला प्रभाव नष्ट होने लगता है।

** खजूर रक्त को बढ़ाता है और यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है। रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है।

***पोषक तत्वों से भरपूर खजूर****
* दांतों का गलना – छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैलशियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।
* रक्तचाप – कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठ
ली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जायेगी।
* कब्ज – सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।
* पुराने घाव – पुराने घावों के लिए खजूर की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावों पर इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं।
* मासिक धर्म : छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।
* खजूर गर्भवती महिलाओं में दूध की मात्रा में वृद्धि करता है और अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।
* आंख की पलक पर गुहेरी रोग हो जाता है। खजूर की गुठली को रगड़कर गुहेरी पर लगाए। आराम मिलेगा।
* मोटापा - खजूर का सेवन मोटापा लाता है तथा शरीर का भार बढ़ता है, अतः मोटे व्यक्ति सोचकर खाए। दुबले व्यक्ति भार बढ़ाने के लिए खा सकते हैं।
* जिनकी पाचन शक्ति अच्छी हो वे खजूर खाएं, क्योंकि यह पचाने में समय लेती है। छुहारे, पुरा वर्ष उपलब्ध रहते है। खजूर केवल सर्दी में तीन महीने। जब जो उपलब्ध हो, उसका सेवन करें।

गिलोय- अमृत बेल (Tinospora cordifolia)

*गिलोय- अमृत बेल (Tinospora cordifolia) *
गिलोय को अमृता भी कहा जाता है .
*यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये
नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये ।
***************************************
1-अगर आप वातज विकारों से ग्रसित हैं तो गिलोय का पाँच ग्राम चूर्ण घी के साथ लीजिये ।
2- पित्त की बिमारियों में गिलोय का चार ग्राग चूर्ण चीनी या गुड के साथ खालें तथा अगर आप कफ से संचालित किसी बीमारी से परेशान हो गए है तो इसे छः ग्राम कि मात्र में शहद के साथ खाएं ।
3-इसे सोंठ के साथ खाने से आमवात-जनित बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ।
4-गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को काबू में लाया जा सकता है।
5-इसकी डंडी का ही प्रयोग करते हैं ; पत्तों का नहीं . उसका लिसलिसा पदार्थ ही दवाई होता है
डंडी को ऐसे भी चूस सकते है . चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें . हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी
6-इससे पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश, आंव , त्वचा की बीमारी , liver की बीमारी हिचकी की बीमारी आदि ढेरों बीमारियाँ ठीक होती हैं .
7-शरीर में गर्मी अधिक है तो इसे कूटकर रात को भिगो दें और सवेरे मसलकर शहद या मिश्री मिलाकर पी लें .
8-अगर platelets बहुत कम हो गए हैं , तो चिंता की बात नहीं , aloe vera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं .
9-यह त्रिदोशघ्न है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं .
10-सामान्य जुकाम: गिलोय का ५ इंच तना लेकर इसको अच्छी तरह से कुट कर एक कप पानी मे उबाले , जब अधा कप पानी रह जाए तो इसकी चाय बनाकर और इसमे ३ काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम गरम पी जाये। एकदम असर करेगा।
11- जीर्ण ज्वर : आधे गिलास पानी मे ६ इन्च गिलोय का तना कुट कर अच्छी तरह मिलाकर मिट्टी कि हाण्डी मे रात के लिये रख दे, सुबुह होने पर छान कर इसको पी जाए। ऎसा ६ दिनो. तक लगातार करे।
12- बच्चों के सामान्य जुकाम नजला, खांसी, बुखार पर: गिलोय के पत्तों का रस निकाल कर उसको शहद मे मिलाकर दो तीन बार चटा दे। एक दम असर करेगा
***********************
गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है . इसे गिलोय सत कहते हैं .
इसका आरिष्ट भी मिलता है जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं . अगर ताज़ी गिलोय न मिले तो इन्हें भी ले सकते